क्यूँ री सखी क्या तू इस किताब व् उंगुलीवाले भीम को जानती है
या तू भी मेरी तरह इस भीम को महाभारतवाला भीम ही मानती है
पर समझ नहीं आता ये कौन सा भीम है जो हमेशा सूठ-बूट में सजा है
मैंने महाभारत वाले भीम के हाथ में तो देखा हमेशा गदा है
ये जो जय भीम आजकल हर जगह छाया है
इस भीम के पास भी क्या कोई मायावी माया है
यह किताब वाला भीम तो बिलकुल हमारे जैसा है
सुना है इसके पास किताबे तो हजारों पर जेब में ना कोई पैसा है
महाभारत का भीम तो शरीर से बेशक विशाल था
फिर भी भरी सभा में अपनी ही पत्नी का बन गया दलाल था
यह किताब वाला भीम तो बड़ा निराला है
सब कहते हैं की इसने मानवता को अपनी कलम की ताकत से पाला था
महाभारत वाले भीम ने लालच में अपनी ही सेना मारी थी
किताब वाले भीम ने तो मानवता पर अपनी ही संतान वारि थी
सुन री सखी आज मैं सही भीम को जान गई
सच्चे भीम के ऊँचे कद का लोहा मान गई
आज मेरा भीम सिर्फ भीम राव आंबेडकर ही महान है
जिसने भारत में महिलाओं को दिलाया सही सम्मान है
जो औरत मानवता की आधी वारिश जग जननी कहलाती थी
वो औरत सदियों तक जलाई रुलाई सताई और मारी जाती थी
पढ़ना सिखाकर सावित्री बाई जी ने हमपर बड़ा उपकार किया
ज्योतिबा के लम्बी सोच ने महिलाओं का सपना साकार किया
आंबेडकर ने हक़ बराबर दिलाकर हमें अपने वजूद का अहसास कराया है
हमने इसव भीम को छोड़कर उस महाभारत वाले भीम को सदियों तक अपनाया है
आज जो मेरी हंसती बसती दुनिया है, यह उसके त्याग, परिश्रम, ज्ञान का ही प्रताप है
तुम भी आज से आंबेडकर को ही पढो, समझो, जानो जो विद्वता में सबका बाप है
तभी उसे आज symbol of knowledge सभी कहने लगे हैं
क्यूंकि उसके मानवता पर उपकार बड़े हैं
आज से मैं भीम जय भीम कहूँगी
अपने बच्चों में यही संस्कार भरुंगी
मेरे बच्चे भी आंबेडकर को पढ़े सुने समझे इसका भरसक प्रयास करुँगी
तभी मैं स्त्री मां, बहिन, पत्नी, पुत्री होने का अपना कर्त्तव्य पूरा करुँगी
द्वारा-सुखविन्द्र कुमार
अम्बाला