• धर्मसुधारक, समाज सुधारक और रहस्यवादी कवि
  • जन्म=अहमदाबाद (गुजरात)
  • देश भ्रमण करते हर सांभर में निवास करनेलगे |
  • इनके सम्प्रदाय को “ब्रह्म सम्प्रदाय” या “परब्रह्म सम्प्रदाय” के नाम से भी जाना जाता है | कालान्तर में इसे दादू पंथ की संज्ञा प्रदान की गई |
  • इनके सत्संग का स्थल “अलख दरीखा” नाम से प्रसिद्ध
  • इनके पंथ के उत्तराधिकारी इनके पुत्र “गरीबदास” तथा मिस्कीनदास थे |
  • इनकी वाणियों का सबसे पहले सम्पादन उनके दो शिष्य संतदास और जगन्नाथ ने हरडे बानी शीर्षक से किया था जिसका पुनः प्रकाशन रज्जब ने “अंगबंधू” नाम से किया था |
  • प्रमुख शिष्य= रज्जब और सुन्दरदास
  • इनकी रचनाएँ- हरडे बानी, अंगबंधू और काया बोली
  • ऐसा माना जाता है कि इन्होने बीस हजार पदों और सखियों की रचना की
  • सम्राट अकबर ने इन्हें सीकरी बुलाकर चालीस दिन तक लगातार सत्संग किया था |
  • इनकी भाषा- राजस्थानी खड़ी बोली मिश्रित ब्रज
  • इनकी विचारधारा कबीर से प्रभावित है |
  • इन्होने राजस्थान के नराना में अपनी गद्दी स्थापित की |
  • प्रमाणिक रचनाओं का संग्रह=दादूदयाल (द्वारा परशुराम चतुर्वेदी)

उदाहरण-

भाई रे! ऐसा पंथ हमारा | है पख रहित पंथ गह पूरा अबरन एक अधारा ||

घीव दूध से रमी रह्या व्यापक सब ही ठौर |

यह मसीत यह देहरा सतगुरु दिया दिखाई | भीतर सेवा बंदगी बाहिर काहे जाई ||

अपना मस्तिक काटिकै वीर हुआ कबीर ||

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